मद्रास उच्च न्यायालय ने 24 सितंबर को एक दुर्लभ न्यायिक हस्तक्षेप करते हुए बहुचर्चित बीएसपी नेता आर्मस्ट्रांग की हत्या की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि मामले की गंभीरता और सामाजिक व राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर्याप्त नहीं है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि हत्या के पीछे संभावित राजनीतिक और आपराधिक गठजोड़ की जांच करना आवश्यक है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि CBI जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो और किसी भी दबाव या बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त हो।
इस आदेश के बाद राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन ने CBI के समक्ष मामले की पूरी रिपोर्ट सौंप दी और जांच प्रक्रिया में सहयोग का आश्वासन दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि हाईकोर्ट का यह कदम न्यायपालिका द्वारा संवेदनशील मामलों में सीधे हस्तक्षेप का एक दुर्लभ उदाहरण है।
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बीएसपी नेता आर्मस्ट्रांग की हत्या ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में गंभीर चिंता पैदा की थी। स्थानीय पुलिस ने प्रारंभिक जांच में कई संदिग्धों की पहचान की थी, लेकिन मामले की जटिलता और राजनीतिक दबाव के कारण उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही थी।
CBI जांच से उम्मीद है कि हत्या के वास्तविक कारण, आरोपी और उनके नेटवर्क का पता चलेगा और न्याय सुनिश्चित होगा। अदालत ने यह भी कहा कि जांच के दौरान सभी संबंधित दस्तावेज, साक्ष्य और गवाहों को संरक्षित रखा जाए।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के न्यायिक हस्तक्षेप से संवेदनशील और जटिल मामलों में न्याय प्रक्रिया की विश्वसनीयता बढ़ती है और समाज में कानून के प्रति विश्वास मजबूत होता है।
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