महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि वह पूर्व विधायक ज़ीशान सिद्दीकी की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा 10 दिनों के भीतर करेगी। ज़ीशान सिद्दीकी, दिवंगत एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी के पुत्र हैं। हाल ही में उनकी सुरक्षा को वाई+ श्रेणी से घटाकर केवल दो पुलिस कांस्टेबल कर दिया गया था, जिस पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि ज़ीशान सिद्दीकी और उनके परिवार को अगस्त 2025 में फिर से जबरन वसूली से जुड़ी धमकियां मिली थीं। इन धमकियों के बाद परिवार ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए संबंधित अधिकारियों के समक्ष आवेदन भी दिया था। बावजूद इसके, सुरक्षा स्तर कम किए जाने से परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंताएं और बढ़ गईं।
याचिका में कहा गया कि बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से परिवार लगातार खतरे की आशंका में जी रहा है। ऐसे में सुरक्षा घटाना न केवल अनुचित है, बल्कि यह ज़ीशान सिद्दीकी की जान को जोखिम में डाल सकता है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी दलील दी गई कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और किसी भी जनप्रतिनिधि या उनके परिवार की सुरक्षा के साथ लापरवाही नहीं की जा सकती।
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सरकार की ओर से पेश वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि सुरक्षा समीक्षा की प्रक्रिया चल रही है और ज़ीशान सिद्दीकी के आवेदन पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। अदालत को यह भी बताया गया कि उपलब्ध खुफिया इनपुट और हालिया धमकियों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा।
इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि मामले की समयबद्ध समीक्षा जरूरी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति को वास्तविक खतरा है, तो उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है। हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई कि सरकार 10 दिनों के भीतर इस संबंध में उचित निर्णय लेगी।
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