तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को अनुमति न देने के बाद उत्पन्न विवाद पर भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को अपनी स्थिति स्पष्ट की। मंत्रालय ने कहा कि इस निर्णय में उसका कोई हस्तक्षेप या भूमिका नहीं थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल पुरुष पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति दी गई थी, जिससे भारतीय मीडिया जगत और मानवाधिकार संगठनों में नाराज़गी फैल गई। कई महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर इसे “महिला विरोधी और अपमानजनक कदम” बताया और सवाल उठाया कि भारत सरकार ने इस पर आपत्ति क्यों नहीं जताई।
विवाद बढ़ने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “यह कार्यक्रम पूरी तरह से तालिबान प्रतिनिधिमंडल द्वारा आयोजित था। इसमें मीडिया के चयन या प्रवेश से संबंधित निर्णयों में भारत का कोई हस्तक्षेप नहीं था।” उन्होंने आगे कहा कि भारत ने हमेशा महिलाओं की समान भागीदारी और अधिकारों का समर्थन किया है।
और पढ़ें: भारत का दावा: रूस की ओर से लड़ते हुए यूक्रेन में भारतीय की गिरफ्तारी, अधिकारियों ने कहा—औपचारिक सूचना अभी नहीं मिली
गौरतलब है कि मुत्ताकी भारत के दौरे पर थे और उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मुलाकात की थी। दोनों नेताओं के बीच व्यापार, आतंकवाद और मानवीय सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी।
हालांकि, महिला पत्रकारों को बाहर रखने की घटना ने तालिबान के महिला अधिकारों पर विरोधाभासी रुख को एक बार फिर उजागर कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय पहले से ही अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा और रोजगार पर प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना कर चुका है।
भारत सरकार के इस स्पष्टिकरण के बावजूद, यह विवाद कूटनीतिक और सामाजिक स्तर पर नई बहसें पैदा कर रहा है।
और पढ़ें: अमेरिका में पुलिस गोली से तेलंगाना युवक की मौत, परिवार ने शव लाने में मदद की गुहार