मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों के लिए कांग्रेस और वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के बीच हुए बहुचर्चित गठबंधन को जमीनी स्तर पर बड़ा झटका लगा है। प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वीबीए ने कांग्रेस को सूचित किया है कि वह उसे आवंटित की गई 62 सीटों में से 20 सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं उतार सकी।
15 जनवरी को होने वाले बीएमसी चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि मंगलवार (30 दिसंबर 2025) को समाप्त हो गई। ऐसे में वीबीए की इस “खुलासे” ने कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब कांग्रेस को उन 20 वार्डों में वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ सकती है, जहां वीबीए के उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं।
कांग्रेस और वीबीए के बीच 28 दिसंबर 2025 को 227 सदस्यीय बीएमसी के लिए 143-62 सीटों का बंटवारा तय हुआ था। इसके अलावा कुछ सीटें राष्ट्रीय समाज पक्ष और आरपीआई (गवई गुट) को देने पर भी सहमति बनी थी। लेकिन अब वीबीए ने स्पष्ट कर दिया है कि उसके पास 20 सीटों के लिए उपयुक्त उम्मीदवार नहीं हैं और इन सीटों को उसने कांग्रेस को “लौटा” दिया है।
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इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि उन्हें उन 20 वार्डों में कांग्रेस के मतदाताओं के लिए सहानुभूति है, जहां गठबंधन की यह कमजोरी सामने आई है।
वीबीए का प्रभाव मुंबई और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में दलित मतदाताओं के बीच माना जाता है। खासतौर पर पार्टी को नवबौद्ध (नियो-बौद्ध) समुदाय से समर्थन मिलता रहा है। डॉ. भीमराव आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में वीबीए ने खुद को दलित और वंचित वर्गों की आवाज के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है।
हालांकि, उम्मीदवारों की कमी ने गठबंधन की तैयारियों और जमीनी संगठनात्मक मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि कांग्रेस इन 20 सीटों पर क्या रणनीति अपनाती है और इसका चुनावी परिणामों पर क्या असर पड़ता है।
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