भारतीय नौसेना ने गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) से अपनी पहली प्रोजेक्ट 17A श्रेणी की उन्नत युद्धपोत ‘हिमगिरि’ को औपचारिक रूप से प्राप्त कर लिया है। यह उपलब्धि भारत के नौसैनिक बेड़े को आधुनिक और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
‘हिमगिरि’ पूर्ववर्ती आईएनएस हिमगिरि का आधुनिक रूप है, जो लींडर-श्रेणी की फ्रिगेट थी और जिसने 30 वर्षों तक राष्ट्र की सेवा करने के बाद 6 मई, 2025 को डिकमीशन कर दिया गया था। नई ‘हिमगिरि’ न केवल पुराने जहाज की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाती है, बल्कि उन्नत हथियार प्रणालियों, सेंसर और स्टील्थ तकनीक के साथ भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में भी बड़ा इजाफा करेगी।
प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल सात फ्रिगेट्स का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से कुछ का निर्माण मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और बाकी का कोलकाता में GRSE द्वारा किया जा रहा है। इन फ्रिगेट्स को मल्टी-रोल कॉम्बैट क्षमताओं से लैस किया गया है, जो सतह, वायु और पनडुब्बी खतरों से निपटने में सक्षम हैं।
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नौसेना अधिकारियों का कहना है कि नई हिमगिरि का डिजाइन और तकनीक भारत में विकसित की गई है, जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूती देती है। इसके जरिए भारतीय नौसेना को समुद्री सुरक्षा, निगरानी और युद्ध अभियानों में और अधिक सामरिक बढ़त मिलेगी।
इस नई उपलब्धि से भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकेगा।
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