बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारी पूरी गति से चल रही है। इस बार चुनाव दो चरणों में होंगे, 6 और 11 नवंबर 2025 को। राज्य की 243 सीटों पर मुकाबला होगा, जहां अब तक किसी प्रमुख गठबंधन ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। सत्ता में रहने वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) विपक्षी महागठबंधन के साथ फिर से सीधी टक्कर में है। चुनाव परिणाम 14 नवंबर को घोषित होंगे।
NDA में शामिल प्रमुख पार्टियों — जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी — ने सीट-शेयरिंग का ऐतिहासिक समझौता किया है। इस बार दोनों पार्टियां बराबरी के आधार पर चुनाव लड़ेंगी, और प्रत्येक को 101-101 सीटें मिली हैं। यह पहला मौका है जब 2005 के बाद से JD(U) और BJP बराबरी के आधार पर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।
अन्य NDA सहयोगी दलों में चिराग पासवान की नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-RV) को 29 सीटें मिली हैं। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेकुलर) को समान रूप से छह-छह सीटें दी गई हैं।
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विशेषज्ञों के अनुसार, इस सीट-शेयरिंग का उद्देश्य गठबंधन में संतुलन बनाए रखना और सभी सहयोगी दलों को समान अवसर देना है। बिहार का राजनीतिक परिदृश्य इस बार विशेष रूप से संवेदनशील है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में यहां राजनीतिक समीकरण में काफी बदलाव आए हैं।
NDA के इस समझौते के बाद अब चुनावी मैदान में मुकाबला और भी दिलचस्प होने वाला है। सभी पार्टियां पूरी ताकत के साथ प्रचार-प्रसार कर रही हैं और जनता की राय तय करेगी कि अगले पांच वर्षों के लिए बिहार की सत्ता किसके हाथ में होगी।
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