दुनिया भर में नववर्ष की पूर्व संध्या (न्यू ईयर ईव) 2025 को बड़े समारोहों, आतिशबाज़ी, सुरक्षा अलर्ट और यातायात परामर्शों के साथ मनाया गया, जब विश्व ने 2026 में कदम रखा। एशिया-प्रशांत क्षेत्र से लेकर ऑस्ट्रेलिया और भारत तक, अलग-अलग परंपराओं के साथ नए साल का स्वागत किया गया।
जापान में टोक्यो के एक बौद्ध मंदिर में आधी रात को घंटानाद की परंपरा निभाई गई। बड़ी संख्या में लोग मंदिर परिसर में एकत्र हुए और घंटी बजने के साथ नए साल के आगमन का साक्षी बने। वहीं, दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में बोसिंगाक पवेलियन में घंटी बजाने और काउंटडाउन समारोह का आयोजन किया गया, जहां हजारों लोग मौजूद रहे।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में 2026 की शुरुआत भव्य आतिशबाज़ी के साथ हुई। हाल के हफ्तों में शहर में हुए एक यहूदी कार्यक्रम पर हमले के बाद यहां सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई थी। सिडनी का न्यू ईयर ईव समारोह विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें हार्बर ब्रिज और ओपेरा हाउस समेत पूरे बंदरगाह क्षेत्र में करीब सात किलोमीटर तक 40,000 से अधिक आतिशबाज़ी प्रभाव देखने को मिले।
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प्रशांत महासागर का द्वीपीय देश किरिबाती दुनिया का पहला देश बना जिसने आधी रात होते ही 2026 का स्वागत किया। इसके लाइन आइलैंड्स में घड़ी के बारह बजते ही वैश्विक नववर्ष समारोहों की आधिकारिक शुरुआत मानी जाती है।
भारत में केरल के फोर्ट कोच्चि में भी नए साल का जश्न खास रहा। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आए हजारों लोग ‘पप्पांजी’ नामक बुज़ुर्ग व्यक्ति के विशाल पुतले के दहन को देखने पहुंचे। परेड ग्राउंड और वेली ग्राउंड में पहली बार एक साथ विशाल पप्पांजी जलाए गए। परेड ग्राउंड में आयोजन कोचीन कार्निवल कमेटी ने किया, जबकि वेली ग्राउंड में स्थानीय चैरिटी क्लब ‘गाला डी फोर्ट कोच्चि’ ने कार्यक्रम आयोजित किया।
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