बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को अपने पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर अप्रत्यक्ष तंज कसते हुए उन पर जीविका स्वयं सहायता समूहों को लेकर महिलाओं को गुमराह करने का आरोप लगाया।
कुमार ने सोशल मीडिया पोस्ट में बिना नाम लिए कहा, “बिहार के लोगों ने उन्हें मौका दिया था, लेकिन उन्होंने जनता की सेवा के बजाय अपनी निजी रुचियों को प्राथमिकता दी।” यह टिप्पणी तेजस्वी यादव द्वारा किए गए वादों के एक दिन बाद आई, जिसमें उन्होंने सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने और लगभग दो लाख जीविका कार्यकर्ताओं की मासिक आय 30,000 रुपये करने का वादा किया था।
नीतीश कुमार ने लिखा, “कुछ लोग चुनाव से ठीक पहले खुद को जीविका दीदियों और बिहार की आधी आबादी के रक्षक के रूप में पेश कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि ‘जीविका दीदियों’ के नाम पर वे अपने परिवारों के लिए आजीविका तलाश रहे हैं।”
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उन्होंने आगे कहा, “उनके शासनकाल में महिलाओं का विकास केवल उनके परिवारों तक सीमित था। बिहार की महिलाओं ने उस समय ‘जंगल राज’ की पीड़ा झेली है, यह कोई रहस्य नहीं।”
कुमार ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को भी उजागर किया: पंचायत और नगर निगम चुनावों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण, सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण, महिलाओं के लिए डोमिसाइल नीति और प्राथमिक शिक्षक भर्ती में 50% कोटा।
उन्होंने बताया कि राज्य हर लड़की बच्चे पर जन्म से स्नातक तक 94,100 रुपये खर्च करता है और प्रत्येक महिला को व्यवसाय शुरू करने के लिए 10,000 रुपये दिए जाते हैं। यदि व्यवसाय सफल होता है, तो अतिरिक्त सहायता 2 लाख रुपये तक दी जाती है।
कुमार ने कहा, “1.4 करोड़ से अधिक जीविका दीदियां बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। किसी भी समाज या राज्य का विकास उसकी आधी आबादी के उत्थान के बिना संभव नहीं है।”
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