श्रीनगर के नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार देर रात हुए भीषण विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई और 27 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों के अनुसार, यह विस्फोट उस समय हुआ जब फोरेंसिक टीम और पुलिसकर्मी फरीदाबाद से बरामद भारी मात्रा में विस्फोटकों के नमूने निकाल रहे थे। ये विस्फोटक ‘व्हाइट-कॉलर’ टेरर मॉड्यूल मामले की जांच के तहत हाल ही में जब्त किए गए थे।
मौके से अब तक छह शव बरामद किए गए हैं, जबकि मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है। सभी शवों को पुलिस कंट्रोल रूम, श्रीनगर भेजा गया है। घायलों में 24 पुलिसकर्मी और तीन नागरिक शामिल हैं, जिन्हें शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। देर रात हुए इस हादसे ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी और पुलिस स्टेशन भवन को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया।
लगातार छोटे धमाकों के कारण बम निरोधक दस्ता तुरंत बचाव कार्य शुरू नहीं कर सका। अधिकारियों के अनुसार, कुल 360 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री गिरफ्तार डॉक्टर मुज़म्मिल गणाई के फरीदाबाद स्थित किराए के मकान से बरामद हुई थी। इसका एक बड़ा हिस्सा पुलिस स्टेशन में सुरक्षित रखा गया था, जहां केस दर्ज था।
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इस मॉड्यूल का खुलासा तब हुआ जब अक्टूबर मध्य में नौगाम के बुनपोरा क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकी भरे पोस्टर मिले। 19 अक्टूबर को मामला दर्ज करने के बाद सीसीटीवी फुटेज की सूक्ष्म जांच से तीन आरोपियों—आरिफ निसार डार, यासिर-उल-अश्रफ और मकसूद अहमद डार—की पहचान हुई। इनसे पूछताछ में मौलवी इरफान अहमद तक सुराग मिला, जिसे पोस्टर उपलब्ध कराने और डॉक्टरों को उकसाने का आरोप है।
आगे की जांच फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय तक पहुंची, जहां से डॉक्टर मुज़म्मिल गणाई और डॉक्टर शहीन सईद को गिरफ्तार किया गया। यहां से अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर सहित भारी मात्रा में रसायन बरामद किए गए। जांच टीम का मानना है कि तीन डॉक्टर—गणाई, उमर नबी और मुज़फ्फर राथर—इस मॉड्यूल के मुख्य संचालक थे। गिरफ्तार डॉक्टर अदील राथर की भूमिका की जांच जारी है।
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