ओडिशा सरकार ने सभी सरकारी विभागों और अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि किसी भी प्रकार के आधिकारिक पत्राचार, अभिलेख, लेनदेन, जाति प्रमाणपत्र, प्रकाशन, विभागीय नाम अथवा अन्य किसी रूप में ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कदम संविधान प्रदत्त समानता और गरिमा के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। उन्होंने कहा, “सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि किसी भी आधिकारिक दस्तावेज़ या संचार में यह शब्द न दिखे। उल्लंघन पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
सरकार का कहना है कि यह निर्देश समाज में समानता और संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए है। दलित समुदाय के प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग बंद किया जाए, क्योंकि यह शब्द उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है।
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केंद्र सरकार और अन्य राज्यों ने भी समय-समय पर इसी तरह के निर्देश जारी किए हैं। सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी पहले कहा था कि 'हरिजन' शब्द के प्रयोग से बचा जाना चाहिए और ‘अनुसूचित जाति’ या ‘दलित’ जैसे संवैधानिक शब्दों का उपयोग किया जाना चाहिए।
ओडिशा सरकार का यह निर्णय राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों, स्थानीय निकायों और सार्वजनिक संस्थानों में तत्काल प्रभाव से लागू होगा। यह आदेश सामाजिक समानता और सम्मानजनक संबोधन सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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