ओडिशा के उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा विभाग के प्रभारी कनक वर्धन सिंह देव ने कहा है कि राज्य बहुत तेज़ी से भारत का प्रमुख ग्रीन इंडस्ट्रियल हब बनता जा रहा है। The Indian Witness से बातचीत में उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अब तक 53 नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनकी कुल लागत 13,400 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके अलावा, 16 बड़े ग्रीन इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट, जिनमें दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश शामिल है, स्वीकृत किए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि ओडिशा 2030 तक अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में “दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है”। देव के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने साफ ऊर्जा को “वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए पूर्व-शर्त” बताया।
कनक सिंह देव ने कहा कि इस दिशा में ओडिशा का उद्देश्य है कि इस्पात, एल्यूमिनियम और रसायन उद्योगों को ग्रीन इलेक्ट्रिसिटी और ग्रीन हाइड्रोजन से संचालित किया जाए, जिससे राज्य का औद्योगिक विकास टिकाऊ मॉडल में परिवर्तित हो सके। उनके अनुसार, यह बदलाव न केवल ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाएगा बल्कि ओडिशा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण-अनुकूल औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।
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राज्य सरकार का मानना है कि ग्रीन ऊर्जा की उपलब्धता से बड़े औद्योगिक निवेश आकर्षित होंगे और रोजगार के नए अवसर भी बढ़ेंगे। इसके साथ ही, ओडिशा कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाने की दिशा में भी काम कर रहा है।
कनक सिंह देव ने यह भी कहा कि सरकार ग्रीन तकनीक, ऊर्जा दक्षता और विशाल औद्योगिक अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं लागू कर रही है। इन परियोजनाओं के पूरी तरह लागू होने पर ओडिशा देश के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और ग्रीन इंडस्ट्री राज्यों में शामिल हो जाएगा।
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