युद्धग्रस्त सूडान में 40 दिनों तक बंधक रहने के बाद ओडिशा के एक युवक की सुरक्षित वतन वापसी हुई है। 36 वर्षीय आदर्श बेहेरा ने अपने परिवार से दोबारा मिलने को “पुनर्जन्म” जैसा अनुभव बताया। बुधवार को भारत लौटने के बाद उन्होंने कहा, “मुझे कभी नहीं लगा था कि मैं फिर से अपने परिवार से मिल पाऊंगा। उन्हें दोबारा देखना मेरे लिए नए जीवन की शुरुआत जैसा है।”
आदर्श बेहेरा को सूडान में सक्रिय अर्धसैनिक संगठन रैपिड सपोर्ट फोर्सेज़ (RSF) के लड़ाकों ने अगवा कर लिया था। उनके मुताबिक, अपहरण के बाद उन्हें पहले तीन दिनों तक जंगल में रखा गया और इसके बाद एक जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। इस दौरान उन्हें लगातार डर और अनिश्चितता के माहौल में रहना पड़ा।
आदर्श ने बताया कि बंधक बनाए जाने के दौरान उन्हें यह नहीं पता था कि वे कब और कैसे आज़ाद होंगे। उन्होंने कहा कि हर दिन उनके लिए एक नई परीक्षा की तरह था और परिवार की याद ही उन्हें मानसिक रूप से मज़बूत बनाए रखी।
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उनकी रिहाई भारतीय दूतावास और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के हस्तक्षेप के बाद संभव हो सकी। कूटनीतिक प्रयासों और समन्वय के जरिए उन्हें सुरक्षित रूप से छुड़ाया गया और भारत वापस लाया गया। भारतीय दूतावास की इस भूमिका की उनके परिवार और स्थानीय लोगों ने सराहना की है।
परिवार से मिलने के बाद आदर्श के चेहरे पर भावनाओं का सैलाब साफ़ दिखाई दिया। उनके परिजनों ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि यह उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।
यह घटना एक बार फिर विदेशों में काम कर रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और संकट के समय सरकार की भूमिका को रेखांकित करती है। युद्ध और हिंसा से जूझ रहे क्षेत्रों में फंसे भारतीयों के लिए यह वापसी उम्मीद की एक नई किरण बनकर सामने आई है।
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