जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर राज्य का दर्जा बहाल न करने को लेकर तीखे सवाल उठाए हैं। सरकार के गठन के एक वर्ष पूरे होने पर दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा वापस न मिलना जनता के मन में असमंजस और अविश्वास पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, “जब कोई वादा किया जाता है और उसे पूरा नहीं किया जाता, तो यह स्वाभाविक है कि उस पर साया पड़ता है।”
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगें रख रहे हैं, लेकिन केंद्र की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि अगर राज्य का दर्जा बहाल करना तय था, तो अब तक इस दिशा में प्रगति क्यों नहीं हुई।
लद्दाख के संदर्भ में बोलते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी सरकार वहां की स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा, “अगर आप मांगें मनवाने के लिए दबाव डालने वालों को प्रोत्साहन देते हैं, तो यह संदेश जाता है कि हमारी शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक राह काम नहीं करती।”
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मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने हमेशा संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के तहत अपने अधिकारों की मांग की है। उन्होंने केंद्र से अपील की कि वह राज्य का वादा पूरा करे, ताकि जनता का विश्वास और राजनीतिक स्थिरता दोनों कायम रह सकें।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उमर अब्दुल्ला का यह बयान केंद्र और राज्य के बीच संवाद को लेकर नई बहस को जन्म दे सकता है।
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