संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में विपक्ष ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद चलाए गए "ऑपरेशन सिंदूर" पर दो दिवसीय व्यापक चर्चा की मांग की है। विपक्षी दलों का कहना है कि इस हमले ने राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया तंत्र की गंभीर खामियों को उजागर किया है, जिन पर संसद में जवाबदेही तय होनी चाहिए।
नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जवानों और नागरिकों की सुरक्षा से जुड़े ऐसे गंभीर मुद्दे पर संसद को अंधेरे में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मुद्दे पर जरूरी जानकारी साझा नहीं कर रही है और चर्चा से बच रही है।
टीएमसी, डीएमके, और लेफ्ट पार्टियों ने भी इस मांग का समर्थन किया और कहा कि यह केवल विपक्ष का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। सदन में कई विपक्षी सांसदों ने गृह मंत्री से बयान देने की मांग की और कहा कि शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब सच्चाई सामने आए।
हालांकि सरकार ने अब तक इस चर्चा पर कोई औपचारिक सहमति नहीं दी है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, बशर्ते सदन सुचारु रूप से चले। विपक्ष के दबाव के बीच अब यह देखना अहम होगा कि सरकार चर्चा के लिए राजी होती है या नहीं।