मिजोरम में विपक्षी दलों ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम (FCAA), 2023 को राज्य और वहां के लोगों के लिए एक गंभीर खतरा करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार को अत्यधिक अधिकार मिल जाते हैं, जो स्थानीय जनता और उनकी भूमि की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) ने इस कानून का कड़ा विरोध किया है। पार्टी नेता जोंगटे ने कहा कि यह अधिनियम मिजो जनता के हितों और उनके पारंपरिक अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र को इस अधिनियम के जरिए भूमि पर अनुचित नियंत्रण मिल जाएगा, जिससे स्थानीय समुदायों की आजीविका और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ सकता है।
जोंगटे ने यह भी कहा कि मिजोरम की विशिष्ट भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को देखते हुए यहां की भूमि और वनों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन नए संशोधन से यह संतुलन बिगड़ सकता है।
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विपक्षी दलों का तर्क है कि अधिनियम का दायरा इतना व्यापक है कि यह राज्य सरकार की शक्तियों को कमजोर कर देगा और स्थानीय स्वायत्तता पर सीधा असर डालेगा। इससे न केवल पर्यावरणीय असंतुलन होगा बल्कि आदिवासी समुदायों के परंपरागत अधिकार भी खतरे में पड़ सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस अधिनियम पर पुनर्विचार की आवश्यकता है, ताकि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कायम रह सके। विपक्षी दलों ने केंद्र से अपील की है कि वह मिजोरम और पूर्वोत्तर राज्यों की संवेदनशील परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संशोधन में बदलाव करे।
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