भारत के लिए सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षण में पिपरहवा के पवित्र बुद्ध अवशेष, जो मई में हांगकांग में नीलामी के लिए रखे गए थे, सफलतापूर्वक भारत वापस लाए गए हैं। संस्कृति मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने कहा कि इस ऐतिहासिक प्रत्यावर्तन को भारत सरकार और गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप के बीच एक उत्कृष्ट सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से संभव बनाया गया। इस सहयोग से अवशेषों को नीलामी से हटाया गया और उन्हें सुरक्षित रूप से भारत लाया गया।
ये अवशेष बौद्ध धर्म के लिए अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के पिपरहवा से जुड़े हैं, जिसे बुद्ध के जीवन और उनके अनुयायियों से ऐतिहासिक रूप से जोड़ा जाता है। पिपरहवा स्थल 19वीं शताब्दी में खुदाई के दौरान खोजा गया था और यहां बुद्ध के अवशेष मिलने का दावा किया गया था।
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संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि इन अवशेषों की वापसी न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर बौद्ध समुदाय के लिए भी गर्व का विषय है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के सांस्कृतिक अवशेषों की वापसी भारतीय धरोहर संरक्षण के प्रयासों को मजबूती देती है और आने वाली पीढ़ियों को अपने इतिहास से जोड़ने का अवसर प्रदान करती है।
भारत सरकार ने भविष्य में भी इसी तरह के प्रयास जारी रखने और विदेशों में मौजूद भारतीय धरोहरों को वापस लाने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
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