प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जॉर्डन पहुंचे, जो उनके तीन देशों के दौरे का पहला पड़ाव है। इस यात्रा में जॉर्डन के बाद इथियोपिया और ओमान भी शामिल हैं। पश्चिम एशिया में जारी अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों के बीच यह प्रधानमंत्री मोदी का जॉर्डन का पहला पूर्ण द्विपक्षीय दौरा है, जिसे कूटनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस यात्रा के दौरान आतंकवाद, खाद्य सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और द्विपक्षीय सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारत और जॉर्डन दोनों ही आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख रखते हैं और इस साझा चिंता के चलते सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया जा सकता है। पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्षों के कारण खाद्य आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है, ऐसे में खाद्य सुरक्षा भी बातचीत का एक प्रमुख विषय है।
जॉर्डन भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, उर्वरक, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ा है। हाल के वर्षों में भारत-जॉर्डन के राजनीतिक संबंध भी गहरे हुए हैं और उच्च स्तरीय यात्राओं से आपसी विश्वास में वृद्धि हुई है।
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प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत पश्चिम एशिया में अपनी कूटनीतिक भूमिका को और सक्रिय रूप से मजबूत करना चाहता है। जॉर्डन क्षेत्र में एक स्थिर और प्रभावशाली देश माना जाता है, जिसकी भूमिका शांति प्रयासों और मानवीय सहायता में अहम रही है। ऐसे में भारत के लिए जॉर्डन के साथ साझेदारी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
इस यात्रा से दोनों देशों के बीच राजनीतिक संवाद, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय मुद्दों पर समन्वय को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देगा, बल्कि पश्चिम एशिया में भारत की संतुलित और जिम्मेदार कूटनीति को भी रेखांकित करेगा।
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