गोरखपुर में नीट उम्मीदवार की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। युवाओं और विद्यार्थियों ने सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की, साथ ही पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए।
कांग्रेस नेता शहनवाज़ आलम ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में ऐसी वारदात होना दर्शाता है कि अपराधियों को पुलिस और कानून प्रवर्तन तंत्र से कोई डर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन अपराध और सुरक्षा के मामलों में गंभीरता से काम नहीं कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि मृत उम्मीदवार के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए और मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। वहीं, पुलिस ने सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की है और आंदोलन को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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स्थानीय नेताओं और छात्र संगठनों ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया है। उनका कहना है कि नीट जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में छात्रों का मानसिक और शारीरिक तनाव बहुत अधिक होता है, और ऐसे दुखद घटनाओं से समाज में व्यापक आक्रोश पैदा होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन को न केवल घटना की जांच करनी चाहिए, बल्कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए छात्र सुरक्षा, स्वास्थ्य और परीक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा।
यह मामला गोरखपुर के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में छात्र सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर बहस को उजागर करता है।
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