पश्चिम बंगाल की हिंदीभाषी समाज कोलकाता में उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कृति 'रंगभूमि' के प्रकाशन के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष समारोह का आयोजन करेगी। यह उपन्यास भारतीय साहित्य के इतिहास में सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्यों की अद्भुत प्रस्तुति माना जाता है।
समारोह का आयोजन अगस्त महीने में किया जाएगा, जिसमें साहित्यिक चर्चाएं, नाट्य प्रस्तुतियाँ, रचनात्मक कार्यशालाएं और प्रेमचंद की कृतियों पर आधारित प्रदर्शनी आयोजित की जाएंगी। कार्यक्रम में बंगाल और अन्य राज्यों से प्रमुख साहित्यकार, शिक्षाविद और रंगकर्मी शामिल होंगे।
'रंगभूमि', जिसे प्रेमचंद ने 1924 में लिखा था, एक दृष्टिहीन भिक्षुक सूरदास की कहानी है, जो औपनिवेशिक सत्ता और पूंजीवादी लालच के खिलाफ संघर्ष करता है। यह उपन्यास न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें सामाजिक अन्याय, वर्ग-संघर्ष और नैतिक मूल्यों की गूढ़ व्याख्या की गई है।
आयोजकों का मानना है कि 'रंगभूमि' आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी 100 साल पहले थी। इस उत्सव का उद्देश्य युवा पीढ़ी को प्रेमचंद की साहित्यिक विरासत से जोड़ना और हिंदी साहित्य के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करना है।
यह आयोजन कोलकाता में हिंदी भाषा और साहित्य की जीवंत उपस्थिति को भी दर्शाएगा, जो बंगाल की बहुसांस्कृतिक परंपरा का एक अनमोल हिस्सा है।