सुप्रीम कोर्ट ने रेणुकास्वामी हत्या मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि सेलेब्रिटी अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल कानून को प्रभावित करने के लिए नहीं कर सकते। अदालत ने इस मामले में दिए गए दर्शन जमानत फैसले में यह स्पष्ट किया कि लोकप्रियता अपराध की अनुकंपा का ढाल नहीं बन सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिल्म और अन्य क्षेत्रों के सेलेब्रिटी समाज में रोल मॉडल के रूप में कार्य करते हैं, इसलिए उन पर जिम्मेदारी और जवाबदेही और अधिक होती है, कम नहीं। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि अगर समाज में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को कानून से छूट मिलती है, तो यह कानून के शासन और न्याय की अवधारणा को कमजोर करता है।
फैसले में कहा गया कि कानून सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होता है, चाहे कोई व्यक्ति कितना भी प्रसिद्ध या शक्तिशाली क्यों न हो। अदालत ने यह निर्देश दिया कि जमानत या अन्य कानूनी राहत देते समय लोकप्रियता को कोई आधार नहीं माना जाएगा।
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विशेषज्ञों के अनुसार यह फैसला समाज में कानून की संप्रभुता और न्याय की समानता को सशक्त करने वाला है। इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट ने यह संदेश दिया कि किसी की प्रसिद्धि या सामाजिक प्रभाव कानून से ऊपर नहीं है।
इस मामले ने सेलेब्रिटी और आम नागरिक दोनों के लिए संदेश स्पष्ट किया कि कानून की सीमा सभी के लिए समान है, और कोई भी अपनी प्रतिष्ठा का लाभ उठा कर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकता।
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