1 दिसंबर 2025 को राज्यसभा में नए सभापति और उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन के स्वागत के दौरान सदन में तीखी नोकझोंक देखने को मिली। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और केंद्रीय मंत्रियों किरेन रिजिजू तथा जे.पी. नड्डा के बीच कई मुद्दों को लेकर टकराव हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन की विनम्र पृष्ठभूमि से देश के दूसरे सर्वोच्च पद तक की यात्रा का उल्लेख किया। इसके बाद अपने बधाई भाषण में खड़गे ने कहा कि उपराष्ट्रपति किसी एक दल के नहीं होते। उन्होंने 1952 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन के उस कथन का हवाला दिया जिसमें कहा गया था—“मैं किसी पार्टी से नहीं हूं।” उन्होंने कहा कि यह उद्धरण इसलिए चुना क्योंकि कुछ सांसद उपराष्ट्रपति को अपना नेता बता रहे थे। खड़गे ने यह भी उल्लेख किया कि राधाकृष्णन के चाचा सी.के. कुप्पुस्वामी तीन बार कांग्रेस से कोयंबटूर से सांसद चुने गए थे।
खड़गे ने कहा कि उन्हें आशा है कि नए उपराष्ट्रपति भी पहले उपराष्ट्रपति जैसी निष्पक्षता दिखाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी सदन की निष्पक्ष कार्यवाही में सहयोग करेगी और विपक्ष व सत्ता पक्ष को समान अवसर दिए जाएं।
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इसके बाद खड़गे ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के “पूरी तरह अप्रत्याशित और अचानक त्यागपत्र” का मुद्दा उठाया, जिसने सदन में हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति पूरे सदन के होते हैं, इसलिए उनका जाना विपक्ष के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मालूम हो कि धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई 2025 को अचानक इस्तीफा दे दिया था।
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने खड़गे के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसी गंभीर घड़ी में इस मुद्दे को उठाना उचित नहीं। वहीं, जे.पी. नड्डा ने कहा कि स्वागत समारोह गरिमा के साथ होना चाहिए और ऐसे विवाद इसकी शालीनता को प्रभावित करते हैं।
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