साबरमती नदी की 1973 की भीषण बाढ़ में विस्थापित हुए परिवारों को आखिरकार पांच दशक बाद जमीन के मालिकाना हक की सौगात मिली है। लंबे समय से लंबित इस मुद्दे का समाधान रविवार को हुआ, जब केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद के पास नवा वंजार गांव में पुनर्वासित परिवारों को भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र सौंपे।
इस अवसर पर अमित शाह ने अहमदाबाद में ₹330 करोड़ की लागत से बनने वाली कई प्रमुख नागरिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम का आयोजन अहमदाबाद नगर निगम द्वारा गांधीनगर में किया गया, जिसमें गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी उपस्थित रहे।
1973 की बाढ़ के दौरान साबरमती नदी के किनारे बसे सैकड़ों परिवारों को अपने घर और जमीन छोड़नी पड़ी थी। बाद में उन्हें पुनर्वास तो मिला, लेकिन कानूनी तौर पर जमीन का स्वामित्व नहीं दिया गया, जिससे कई पीढ़ियों तक वे असुरक्षा और अनिश्चितता की स्थिति में रहे। अब स्वामित्व प्रमाण पत्र मिलने से इन परिवारों को न केवल कानूनी पहचान मिली है, बल्कि भविष्य की योजनाओं और विकास में भी स्थायित्व का भरोसा मिला है।
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इस कार्यक्रम के दौरान वेस्टर्न ट्रंक मेन लाइन परियोजना का भी उद्घाटन किया गया। यह एक प्रमुख ड्रेनेज परियोजना है, जिसका उद्देश्य अहमदाबाद के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी इलाकों में लंबे समय से चली आ रही सीवेज और अपशिष्ट जल की समस्याओं का समाधान करना है। अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना से शहर की जल निकासी व्यवस्था में सुधार होगा और मानसून के दौरान जलभराव की समस्या कम होगी।
सरकार का कहना है कि इन परियोजनाओं से शहरी बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी और नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार होगा। भूमि अधिकार मिलने से साबरमती बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए यह दिन ऐतिहासिक माना जा रहा है, जो उनके दशकों लंबे संघर्ष का अंत है।
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