सर्वोच्च न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के उस निर्णय की सराहना की है, जिसमें सिविल सेवा परीक्षा के प्रीलिम्स के बाद प्रारंभिक उत्तर कुंजी (Provisional Answer Keys) प्रकाशित करने की व्यवस्था की गई है। न्यायालय ने आयोग की इस पहल को परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बताया।
UPSC ने अपनी संशोधित नीति के तहत अब प्रारंभिक उत्तर कुंजी प्रकाशित करने के साथ-साथ परीक्षार्थियों को आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार भी दिया है। उम्मीदवार अपनी आपत्तियों को उचित प्रमाण और स्रोतों के साथ आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। इससे परीक्षा प्रक्रिया में सुधार और उम्मीदवारों के प्रति न्यायपूर्ण दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है।
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि यह कदम परीक्षा प्रणाली में विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाने में सहायक होगा। उम्मीदवारों को यह सुविधा मिलने से उन्हें यह समझने का अवसर मिलेगा कि उनके उत्तरों के मूल्यांकन में किसी प्रकार की त्रुटि हुई है या नहीं।
और पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने सोनम वांगचुक की पत्नी की याचिका पर सुनवाई 15 अक्टूबर तक के लिए स्थगित की
विशेषज्ञों का कहना है कि UPSC का यह निर्णय न केवल परीक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी एक मानक स्थापित करता है। आयोग द्वारा उम्मीदवारों की आपत्तियों को सुनने और उनका समाधान करने का प्रावधान परीक्षा की विश्वसनीयता और निष्पक्षता को बढ़ाता है।
इस नीति के लागू होने से भविष्य में उम्मीदवारों को आत्मविश्वास के साथ परीक्षा में भाग लेने का अवसर मिलेगा और आयोग की प्रक्रिया में विश्वास मजबूत होगा।
और पढ़ें: सोनम वांगचुक केस : सर्वोच्च न्यायालय में पत्नी गीतांजलि अंगमो की याचिका सुनी जाएगी