तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने मंगलवार (9 दिसंबर 2025) को लोकसभा में आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा जारी स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) का उद्देश्य “मतदाताओं की पहचान की पुष्टि नहीं, बल्कि उन्हें हटाना” है। उन्होंने इस प्रक्रिया को पूरी तरह “मनमाना” करार दिया।
चर्चा के दौरान उन्होंने पूछा, “जिस मतदाता का नाम 2024 की वोटर सूची में मौजूद है, उसे यह क्यों कहा जा रहा है कि वह मतदाता नहीं है क्योंकि उसका नाम 2002 में सूची में नहीं था?” उन्होंने कहा कि मतदाताओं को हटाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करेगा।
टीएमसी सांसद ने आरोप लगाया कि अब “प्रधानमंत्री मोदी चुनाव आयोग के माध्यम से तय कर रहे हैं कि कौन मतदाता होगा।” उन्होंने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और चुनाव आयोग की वैधता पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट करेगा।
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डिलीमीटेशन और डिजिटल ऐप्स के माध्यम से रिश्तों की पहचान की प्रक्रिया की भी उन्होंने आलोचना की। उनका कहना था कि कानून में ‘रिश्तेदार’ की परिभाषा इतनी कठोर नहीं है, लेकिन ऐप्स यह तय कर रहे हैं कि कौन-सा नाम रिश्तों में आएगा। उन्होंने सवाल किया, “क्या ऐप तय करेगा कि मेरा भाई मेरा रिश्तेदार है या नहीं? मेरी पत्नी भी रिश्तेदार नहीं मानी जाएगी?”
उन्होंने दावा किया कि SIR का उद्देश्य ‘वोटरों को शामिल करना नहीं, बल्कि हटाना’ है। पश्चिम बंगाल के बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) पर बढ़ते काम के बोझ को उन्होंने कई दुखद घटनाओं के लिए जिम्मेदार बताया। उनके अनुसार, “20 लोग मारे गए, पांच गंभीर रूप से बीमार हुए, 19 और लोगों की मौत हुई और तीन ने आत्महत्या का प्रयास किया।”
उन्होंने बताया कि ऐसी घटनाएं सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं हैं—उत्तर प्रदेश में 10, मध्य प्रदेश में 9, गुजरात में 6, राजस्थान में 3, केरल में 1 और तमिलनाडु में 2 ऐसे मामले सामने आए। उन्होंने कहा कि ये मामले BJP और गैर-BJP दोनों तरह की सरकारों वाले राज्यों में हुए हैं।
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