कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार (20 दिसंबर, 2025) को मोदी सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को “बुलडोज़र से कुचलने” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस कानून को समाप्त करने के उद्देश्य से लाया गया “काला कानून” कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ता स्वीकार नहीं करेंगे और इसके खिलाफ सड़कों पर उतरकर संघर्ष किया जाएगा।
एक वीडियो संदेश में सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा को कमजोर कर मोदी सरकार ने देश के करोड़ों किसानों, मजदूरों और भूमिहीन लोगों के हितों पर सीधा हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने ग्रामीण गरीबों के हितों की लगातार अनदेखी की है।
सोनिया गांधी ने कहा कि उन्हें आज भी वह दिन स्पष्ट रूप से याद है, जब 20 साल पहले डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए संसद में सर्वसम्मति से मनरेगा कानून पारित किया गया था। उन्होंने इसे एक “क्रांतिकारी कदम” बताया, जिसने वंचितों, शोषितों और सबसे गरीब लोगों को आजीविका का सहारा दिया।
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उन्होंने कहा कि मनरेगा के कारण रोजगार की तलाश में होने वाला पलायन रुका, लोगों को रोजगार का कानूनी अधिकार मिला और ग्राम पंचायतें सशक्त हुईं। सोनिया गांधी के अनुसार, मनरेगा के जरिए महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की कल्पना को साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया था।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाल ही में सरकार ने मनरेगा पर बुलडोज़र चला दिया। उन्होंने कहा कि न सिर्फ महात्मा गांधी का नाम हटाया गया, बल्कि मनरेगा के स्वरूप और ढांचे में भी मनमाने तरीके से बदलाव किए गए। यह सब बिना किसी विचार-विमर्श, बिना किसी से परामर्श और बिना विपक्ष को विश्वास में लिए किया गया।
सोनिया गांधी ने दोहराया कि कांग्रेस इस “काले कानून” का हर स्तर पर विरोध करेगी और देश के गरीबों, किसानों व मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेगी।
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