सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision) अभ्यास से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख तय कर दी है। अदालत 12 और 13 अगस्त को इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि बिहार के मसौदा मतदाता सूची (Draft Electoral Roll) से लगभग 65 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए हैं। उनका कहना है कि यह बड़ी संख्या में नाम हटाने की कार्रवाई लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है।
चुनाव आयोग (ECI) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिन नामों को हटाया गया है, वे या तो मृत घोषित किए गए हैं या स्थायी रूप से अन्य स्थानों पर चले गए हैं। आयोग का दावा है कि यह संशोधन मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन करने की एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है।
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याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चुनाव आयोग ने बिना उचित जांच और नोटिस के लाखों मतदाताओं को सूची से बाहर कर दिया, जिससे आने वाले चुनावों में उनके मतदान के अधिकार प्रभावित होंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस प्रक्रिया को रोकने और हटाए गए नामों की पुनः समीक्षा कराने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि क्या चुनाव आयोग की यह कार्रवाई कानूनी रूप से सही है या इसमें किसी प्रकार का भेदभाव और अधिकारों का हनन हुआ है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला बिहार में चुनावी पारदर्शिता और मतदाता अधिकारों की सुरक्षा के लिए अहम साबित हो सकता है। अदालत का फैसला भविष्य में मतदाता सूची के संशोधन की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकता है।
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