सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर एक अहम आदेश जारी किया है। अदालत ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि लंबित स्थानीय निकायों के चुनाव शीघ्र आयोजित किए जाएं, ताकि लोकतांत्रिक ढांचे को बहाल किया जा सके। यह आदेश उन सैकड़ों नगरपालिकाओं और पंचायतों पर लागू होगा, जिनके कार्यकाल समाप्त हो चुके हैं लेकिन नए चुनाव अब तक नहीं कराए गए हैं।
दरअसल, महाराष्ट्र में पिछले कई वर्षों से स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित हैं। इसका मुख्य कारण जनगणना और ओबीसी आरक्षण से जुड़ी कानूनी जटिलताएं बताई गई थीं। राज्य सरकार ने 2021 में सुप्रीम कोर्ट से ओबीसी समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण की अनुमति मांगी थी, जिसके बाद चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई थी। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक बहानों के कारण लोकतांत्रिक संस्थाओं को निष्क्रिय नहीं रखा जा सकता।
इस बीच, कई नगरपालिकाएं और ग्राम पंचायतें प्रशासकों और आयुक्तों के नियंत्रण में चल रही हैं। इससे स्थानीय विकास कार्यों की रफ्तार पर असर पड़ा है। नागरिकों का कहना है कि निर्वाचित प्रतिनिधि न होने से जवाबदेही और जनसंपर्क दोनों घट गए हैं।
और पढ़ें: ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर 8 अक्टूबर से भारत दौरे पर; सुप्रीम कोर्ट 6 अक्टूबर को वांगचुक की पत्नी की याचिका सुनेगा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में कहा कि “लोकतांत्रिक शासन की आत्मा ही चुनाव हैं, और राज्यों को इन्हें टालने का अधिकार नहीं है।” अदालत ने चुनाव आयोग को छह महीने के भीतर सभी लंबित निकायों के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित करने का निर्देश दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला महाराष्ट्र में स्थानीय प्रशासन को दोबारा जनता के प्रति जवाबदेह बनाएगा और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करेगा।
और पढ़ें: लद्दाख हिंसा: सोनम वांगचुक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तुरंत रिहाई की मांग