सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसमें उन्होंने इन-हाउस समिति की रिपोर्ट को चुनौती दी है। यह मामला न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के आरोपों से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में न्यायमूर्ति वर्मा ने दलील दी कि इन-हाउस समिति की जांच रिपोर्ट निष्पक्ष नहीं है और तथ्यों को सही तरीके से नहीं आंका गया। उन्होंने कहा कि जांच प्रक्रिया में उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया और रिपोर्ट उनके खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण तरीके से तैयार की गई।
गौरतलब है कि इस मामले में न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग (Impeachment) की कार्यवाही शुरू की गई है। संसद में इस पर प्रस्ताव लाया गया है, जो जांच रिपोर्ट में लगाए गए गंभीर आरोपों के आधार पर है।
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इन-हाउस समिति का गठन और उसकी कार्यप्रणाली संवैधानिक प्रावधानों और न्यायिक मानकों के अनुरूप नहीं थी। वहीं, विपक्ष की ओर से यह दलील दी गई कि जांच प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद अपना निर्णय सुनाएगा। यह फैसला न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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