सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (11 नवंबर 2025) को चुनाव आयोग के देशव्यापी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया और सभी हाईकोर्ट्स से इस मामले की सुनवाई टालने का अनुरोध किया।
यह याचिकाएं DMK, CPI(M) और कई अन्य राजनीतिक दलों द्वारा दायर की गई हैं, जिन्होंने बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में SIR प्रक्रिया के खिलाफ चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ ने कहा कि किसी भी नई याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
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पश्चिम बंगाल कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जबकि टीएमसी सांसद डोला सेन ने बिहार में SIR प्रक्रिया के खिलाफ याचिका दाखिल की है। तमिलनाडु में DMK ने भी चुनाव आयोग के निर्णय को चुनौती दी है।
30 सितंबर को चुनाव आयोग ने बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी करते हुए बताया था कि SIR के बाद कुल मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ से घटकर 7.42 करोड़ रह गई है, यानी लगभग 47 लाख मतदाता सूची से हटाए गए।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि “इस मामले का देश के भविष्य पर गहरा असर पड़ेगा। चुनाव आयोग को तुरंत जवाब देना चाहिए ताकि यह मुद्दा चुनाव से पहले सुलझ सके।”
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि आयोग को अलग-अलग राज्यों की परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए — “जो बिहार में ज़रूरी है, वह तमिलनाडु में आवश्यक नहीं हो सकता।”
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई 26 नवंबर 2025 के लिए तय की है।
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