केंद्रीय मंत्री और अभिनेता-से-राजनेता सुरेश गोपी ने हाल ही में उस विवाद पर प्रतिक्रिया दी जिसमें एक परिवार की घर मरम्मत की याचिका खारिज कर दी गई थी। उन्होंने इसे एक "गलती" बताया और कहा कि इस निर्णय को उनकी पूरी राजनीतिक छवि पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
गोपी ने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि "सिर्फ एक याचिका के अस्वीकार किए जाने" को उनके कामकाज और समर्पण पर सवाल खड़ा करने के आधार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य हमेशा से जनता की सेवा करना और उनकी वास्तविक जरूरतों को पूरा करना रहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के प्रशासनिक निर्णय कभी-कभी परिस्थितियों या प्रक्रियागत कारणों से लिए जाते हैं और इनमें व्यक्तिगत पक्षपात शामिल नहीं होता। गोपी का कहना था कि एक गलती को उनकी पूरी राजनीतिक यात्रा को "मिटाने" या बदनाम करने के लिए इस्तेमाल करना उचित नहीं है।
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इस मुद्दे ने केरल की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी, जहां विपक्षी दलों ने गोपी पर आम जनता की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। हालांकि, मंत्री ने दोहराया कि वह हमेशा जरूरतमंदों के साथ खड़े रहे हैं और भविष्य में भी रहेंगे।
विश्लेषकों का मानना है कि गोपी का यह स्वीकारना कि फैसला गलत था, उनकी पारदर्शिता और जवाबदेही दिखाता है। साथ ही, यह संदेश भी जाता है कि जनता की मांगों और शिकायतों को गंभीरता से लेना ही किसी भी जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी है।
गोपी ने आश्वासन दिया कि आने वाले समय में ऐसी त्रुटियों को दोहराया नहीं जाएगा और सभी याचिकाओं को संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ देखा जाएगा।
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