विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद आज भी वैश्विक विकास और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा और स्थायी खतरा बना हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक आतंकवाद जैसी चुनौतियों का प्रभावी समाधान नहीं निकाला जाता, तब तक सतत विकास के लक्ष्य पूरे करना मुश्किल होगा।
जयशंकर ने कहा कि दुनिया को यह स्वीकार करना होगा कि आतंकवाद केवल सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह आर्थिक प्रगति, सामाजिक सामंजस्य और वैश्विक सहयोग के लिए भी गंभीर बाधा है। आतंकवाद की वजह से निवेश, व्यापार और विकास परियोजनाएं प्रभावित होती हैं और समाजों में भय का माहौल पैदा होता है।
उन्होंने बहुपक्षीय संस्थाओं और वैश्विक तंत्र में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया। जयशंकर का कहना था कि वर्तमान वैश्विक संस्थाएं बदलती परिस्थितियों और चुनौतियों के अनुरूप काम नहीं कर पा रही हैं। इसलिए यह जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय संगठनों में सुधार कर उन्हें अधिक प्रतिनिधिक और प्रभावी बनाया जाए।
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विदेश मंत्री ने कहा कि भारत हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाता रहा है और वह इस मुद्दे पर वैश्विक सहयोग का पक्षधर है। उन्होंने यह भी दोहराया कि आतंकवाद से निपटने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, तकनीकी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय एकजुटता बेहद जरूरी है।
जयशंकर के अनुसार, यदि विश्व समुदाय आतंकवाद और बहुपक्षीय सुधार दोनों मोर्चों पर गंभीरता से काम करता है, तो ही स्थायी शांति और विकास संभव हो सकेगा। उन्होंने इसे 21वीं सदी की सबसे बड़ी सामूहिक जिम्मेदारी बताया।
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