अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जल्द ही आर्मेनिया और अज़रबैजान के नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं, ताकि अमेरिका की मध्यस्थता में तैयार किए गए एक संभावित शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकें। इस समझौते से दशकों पुराने संघर्ष को समाप्त करने की संभावना जताई जा रही है।
दोनों देशों के बीच तनाव का इतिहास 1990 के दशक की शुरुआत से जुड़ा है, जब नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था। तब से कई बार संघर्ष विराम के प्रयास हुए, लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकल सका।
सूत्रों के अनुसार, यह संभावित समझौता न केवल सैन्य झड़पों को समाप्त करेगा बल्कि दक्षिण काकेशस क्षेत्र में बंद पड़े महत्वपूर्ण परिवहन गलियारों को भी फिर से खोलने का रास्ता साफ करेगा। ये गलियारे 1990 के दशक की शुरुआत से बंद हैं, जिससे क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
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अमेरिकी पक्ष का मानना है कि यह शांति समझौता न केवल आर्मेनिया और अज़रबैजान के लिए बल्कि पूरी क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अहम साबित हो सकता है। इस पहल से ऊर्जा आपूर्ति मार्गों और व्यापारिक सहयोग के नए अवसर पैदा होंगे।
ट्रंप ने अपनी पहल को “ऐतिहासिक अवसर” बताया है और कहा है कि अमेरिका एक स्थायी और न्यायपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। इस मुलाकात की तारीख और स्थान को लेकर अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कूटनीतिक हलकों में इसे लेकर उत्साह देखा जा रहा है।
अगर यह समझौता सफल होता है, तो यह दशकों से चले आ रहे अविश्वास और शत्रुता को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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