तुलसी, जिसे पवित्र तुलसी या होली बेसिल कहा जाता है, सदियों से भारतीय औषधीय परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। इसे “जड़ी-बूटियों की रानी’’ माना जाता है, क्योंकि इसके अनगिनत स्वास्थ्य लाभ वैज्ञानिक शोध और परंपरागत ज्ञान दोनों से प्रमाणित हैं। तुलसी का पानी प्रतिरक्षा बढ़ाने, तनाव कम करने, श्वसन तंत्र को मजबूत करने और पाचन को दुरुस्त करने में प्रभावी माना जाता है।
सर्दियों के मौसम में लोग अक्सर घर की तुलसी के पत्तों को उबालकर तुलसी चाय या तुलसी पानी बनाते हैं। लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि घर में उगाई तुलसी और जंगल में उगने वाली तुलसी में फर्क होता है। जंगली तुलसी के बारे में यह पता नहीं होता कि उसे किस तरह का पानी दिया गया है, और बिना धुले या बिना जानकारी के सेवन करने पर संक्रमण या पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। घर की तुलसी को अच्छी तरह नमक वाले पानी से धोकर ही उपयोग करना चाहिए, ताकि धूल या प्रदूषण के कण हट जाएं।
तुलसी पानी के प्रमुख लाभों में प्राकृतिक इम्युनिटी बूस्ट करना शामिल है। तुलसी में एंटीमाइक्रोबियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमणों से बचाते हैं। यह तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को नियंत्रित कर मानसिक शांति और फोकस बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही तुलसी फेफड़ों की सूजन कम कर खांसी, सर्दी, अस्थमा और प्रदूषण से होने वाली दिक्कतों में राहत देती है।
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तुलसी पानी लिवर की सफाई में मदद करता है और भारी भोजन के बाद गैस व अपच को कम करता है। यह एंजाइम्स के स्राव को बढ़ाकर पाचन सुधारता है। रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में भी तुलसी प्रभावी है, लेकिन मधुमेह रोगियों को चिकित्सक की सलाह से ही इसका सेवन करना चाहिए, क्योंकि यह दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है।
तुलसी पानी तैयार करना आसान है—2-3 पत्तों को 5–10 मिनट पानी में उबालें, छानकर खाली पेट सेवन करें। लेकिन अधिक सेवन से पेट फूलना, गैस या रक्त पतला होने जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
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