उत्तर प्रदेश की 58 वर्षीय सरोज देवी पिछले तीन सालों से सरकारी रिकॉर्ड में ‘मृत’ दर्ज हैं। यह त्रुटि 2022 में हुई, जब वह अपने पति जगदीश प्रसाद का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने गईं। अधिकारियों ने गलती से उनके पति के बजाय उनका ही मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया। 1 जनवरी 2022 को दर्ज इस त्रुटि ने उनके जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। उनका आधार कार्ड निष्क्रिय हो गया और पहचान-आधारित सभी बुनियादी सेवाओं तक उनकी पहुंच बंद हो गई।
अलीगढ़ के खैर तहसील के चमर नगरीया गांव की रहने वाली सरोज देवी पति के निधन के बाद औपचारिकताएं पूरी करने गई थीं, लेकिन clerical mistake के कारण वह सरकारी रिकॉर्ड में ‘अस्तित्वहीन’ हो गईं। पिछले तीन वर्षों में वह एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय तक भाग-दौड़ करती रहीं, लेकिन उन्हें केवल लापरवाही और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। इस गलती को सुधारने की प्रक्रिया बार-बार अटकी रह गई।
15 नवंबर को सरोज देवी ने अपनी समस्या तेहसील दिवस पर अधिकारियों के सामने रखी, जहां उन्होंने अपनी पहचान बहाल करने की गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि वह लगातार अधिकारियों के चक्कर लगा रही थीं, लेकिन किसी ने उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया।
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अब, वर्षों की पीड़ा के बाद प्रशासन ने उनके मामले को प्राथमिकता पर लिया है। खैर के उप-खंड अधिकारी (SDM) शिशिर कुमार ने बताया कि यह मामला अब अत्यंत प्राथमिकता से देखा जा रहा है और सुधार प्रक्रिया तेजी से की जा रही है।
सरोज देवी के लिए यह उम्मीद की किरण है कि वह जल्द ही सरकारी रिकॉर्ड में फिर से ‘जीवित’ दिखाई देंगी और उनकी पहचान पुनः बहाल हो सकेगी।
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