अमेरिका द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों में केवल न्यूनतम कदम उठाता है, जबकि पाकिस्तान शायद ही किसी तरह की कार्रवाई करता है।
यह रिपोर्ट 12 अगस्त 2025 को जारी की गई, जिसमें वर्ष 2024 के कई मामलों का दस्तावेजीकरण किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े कुछ मामलों में आंतरिक जांच शुरू की, लेकिन अधिकांश मामलों में ठोस परिणाम सामने नहीं आए। वहीं, पाकिस्तान में ऐसे मामलों में कार्रवाई और भी कम दर्ज की गई।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि दोनों देशों में कई संवेदनशील घटनाओं के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों या सुरक्षा बलों के खिलाफ अनुशासनात्मक या कानूनी कदम उठाने के उदाहरण दुर्लभ रहे। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यह आकलन विभिन्न स्वतंत्र स्रोतों, मानवाधिकार संगठनों और उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है।
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वॉशिंगटन में भारत और पाकिस्तान के दूतावासों ने इस रिपोर्ट पर कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिपोर्ट द्विपक्षीय संबंधों को सीधे प्रभावित न भी करे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठने की संभावना बढ़ा सकती है।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि भारत और पाकिस्तान को अपने आंतरिक तंत्र को मजबूत करना चाहिए, ताकि मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों में समयबद्ध और पारदर्शी कार्रवाई सुनिश्चित हो सके। अमेरिका ने कहा कि वह दोनों देशों के साथ संवाद जारी रखेगा और मानवाधिकारों के संरक्षण पर जोर देगा।
यह रिपोर्ट दक्षिण एशिया में लोकतांत्रिक संस्थाओं और जवाबदेही को लेकर अंतरराष्ट्रीय बहस को और तेज करने की संभावना रखती है।
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