अमेरिका ने ईरान के तेल नेटवर्क को निशाना बनाने वाली अपनी सबसे बड़ी वैश्विक कार्रवाई में भारतीय नागरिकों और कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (OFAC) ने इस कार्रवाई की घोषणा की, जो 2018 के बाद का सबसे बड़ा ईरान-संबंधी प्रतिबंध पैकेज माना जा रहा है।
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि प्रतिबंधित भारतीय नागरिकों और कंपनियों पर आरोप है कि वे ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के अवैध व्यापार में शामिल थे। इन पर ईरानी तेल की खरीद-बिक्री, विपणन और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन को सुविधाजनक बनाने का आरोप लगाया गया है।
इस कार्रवाई के तहत कई अन्य देशों की कंपनियां और व्यक्ति भी प्रतिबंधों की चपेट में आए हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम ईरान के तेल निर्यात को सीमित करने और उसके कथित रूप से अवैध वित्तीय नेटवर्क को खत्म करने के लिए उठाया गया है।
और पढ़ें: ईरान तेल व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंधों की चपेट में आधा दर्जन भारतीय कंपनियां
प्रतिबंधों के बाद प्रभावित भारतीय कंपनियों और नागरिकों की अमेरिकी वित्तीय प्रणाली तक पहुंच रोक दी जाएगी और उनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर गंभीर असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव पैदा कर सकती है। हालांकि, अमेरिकी सरकार का कहना है कि यह कदम केवल उन संस्थाओं पर लक्षित है जो प्रतिबंधित गतिविधियों में शामिल हैं और इसका भारत की समग्र ऊर्जा साझेदारी से कोई सीधा संबंध नहीं है।
यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान के तेल नेटवर्क के खिलाफ अमेरिका के कड़े रुख को दर्शाता है और वैश्विक ऊर्जा बाजार पर इसका असर देखने को मिल सकता है।
और पढ़ें: ईरान तेल व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंधों की चपेट में आधा दर्जन भारतीय कंपनियां