क्रिसिल की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के कारण भारतीय हीरा पालिशिंग उद्योग की आय इस वित्त वर्ष में 28-30% तक घट सकती है। भारत दुनिया के 95% हीरों की पालिशिंग करता है, लेकिन बढ़ते शुल्क और वैश्विक मांग में गिरावट के चलते यह उद्योग गंभीर संकट में है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी आयात शुल्क बढ़ने से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी और ऑर्डर में कमी आएगी। हीरा उद्योग का कारोबार 2007 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँचने की आशंका जताई गई है।
क्रिसिल ने चेतावनी दी कि यदि यह रुझान जारी रहा तो गुजरात के सूरत जैसे प्रमुख हीरा पालिशिंग केंद्रों पर रोजगार पर भी असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका भारतीय हीरा उद्योग का सबसे बड़ा बाजार है, और शुल्क वृद्धि से निर्यात महंगा हो जाएगा, जिससे खरीदार वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर सकते हैं।
और पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय व्यापार दबाव में नहीं, स्वेच्छा से होना चाहिए: मोहन भागवत
उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता तेज करे या राहत उपायों पर विचार करे। उनका कहना है कि यह क्षेत्र पहले से ही मांग में गिरावट और वैश्विक आर्थिक मंदी के दबाव में है।
क्रिसिल का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में हीरा पालिशिंग उद्योग की आय में तेज गिरावट होगी और यह कई वर्षों के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर पहुँच सकता है।
और पढ़ें: आज की प्रमुख खबरें: भारत की 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की बोली को कैबिनेट मंजूरी, अमेरिकी 50% टैरिफ लागू और अन्य सुर्खियाँ