केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वामपंथी आंदोलन के प्रमुख स्तंभ वी.एस. अच्युतानंदन का निधन हो गया है। वे न केवल राज्य की राजनीति में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रभावशाली और सम्मानित नेता थे। 100 वर्ष की आयु पार कर चुके अच्युतानंदन का जीवन सादगी, संघर्ष और सिद्धांतों से भरा रहा।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के संस्थापकों में शामिल अच्युतानंदन ने अपनी राजनीति का अधिकतर हिस्सा जनता के मुद्दों, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और समाज के वंचित वर्गों की आवाज़ उठाने में लगाया। उन्होंने केरल में मजदूरों, किसानों और दलितों के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।
मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल (2006–2011) भ्रष्टाचार-विरोधी नीतियों और जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए जाना जाता है। वे एक ऐसे नेता रहे जो पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सच्चाई और न्याय के लिए खड़े होते थे। विपक्ष के नेता के रूप में भी उन्होंने सरकारी नीतियों की सख्त समीक्षा की और जनहित के मुद्दों को मजबूती से उठाया।
अच्युतानंदन को उनके स्पष्ट और बेबाक वक्तव्यों के लिए जाना जाता था। उनका जीवन सार्वजनिक सेवा, वैचारिक प्रतिबद्धता और निर्भीक राजनीति का प्रतीक रहा। उनके निधन से केरल की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है।
उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी।