पटना हाईकोर्ट ने कांग्रेस पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत माता हीराबेन का कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित वीडियो तुरंत हटाने का आदेश दिया है। अदालत ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कांग्रेस को चेतावनी दी है कि ऐसी सामग्री सार्वजनिक जीवन में न केवल नैतिकता बल्कि व्यक्तिगत गरिमा पर भी आघात करती है।
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को चुनावी या राजनीतिक लाभ के लिए एआई-निर्मित भ्रामक सामग्री का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अदालत ने कांग्रेस को तुरंत वीडियो वापस लेने का निर्देश देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स — फेसबुक, ट्विटर (एक्स) और गूगल — को भी नोटिस जारी किया है। इन कंपनियों से पूछा गया है कि उन्होंने ऐसी सामग्री को कैसे प्रसारित होने दिया और भविष्य में इसे रोकने के लिए वे क्या कदम उठाएंगी।
अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी नोटिस भेजा है, जिसमें उनसे जवाब मांगा गया है कि इस वीडियो को उनकी पार्टी के आधिकारिक प्लेटफॉर्म्स पर क्यों साझा किया गया। अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है कि किसी की निजी या पारिवारिक गरिमा को ठेस पहुंचाई जाए।
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इस मामले ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में एआई-आधारित सामग्री के उपयोग और उसके संभावित दुरुपयोग पर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में चुनावी राजनीति में एआई सामग्री की सत्यता और नियमन एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
अब सभी संबंधित पक्षों को अगली सुनवाई में अपने जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं। अदालत ने साफ किया है कि इस तरह की घटनाओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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