एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुरुवार (28 नवंबर 2025) को दावा किया कि गाज़ा पट्टी में पिछले महीने लागू हुए संघर्षविराम के बावजूद इज़रायल फिलिस्तीनियों के खिलाफ “जनसंहार” कर रहा है। अमेरिका द्वारा मध्यस्थता किए गए इस नाजुक संघर्षविराम को 10 अक्टूबर को लागू किया गया था, जो दो साल लंबे युद्ध के बाद आया।
एमनेस्टी की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा कि संघर्षविराम से यह “खतरनाक भ्रम” पैदा हो रहा है कि गाज़ा में स्थिति सामान्य हो रही है, जबकि जमीनी हालात अब भी अत्यंत भयावह हैं। उन्होंने कहा कि इज़रायली हमलों में कमी और सीमित मानवीय सहायता की अनुमति के बावजूद “इज़रायल का जनसंहार जारी है”।
इज़रायल के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पहले किए गए समान आरोपों पर मंत्रालय इन्हें “झूठा, मनगढ़ंत और पूरी तरह बेबुनियाद” बताकर खारिज करता रहा है।
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1948 के संयुक्त राष्ट्र जनसंहार कन्वेंशन के अनुसार, जनसंहार वह पाँच गंभीर कृत्य हैं जो किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से किए जाएं। दिसंबर 2024 में एमनेस्टी ने रिपोर्ट दिया था कि इज़रायल गाज़ा में इन पाँच में से तीन कृत्यों को अंजाम दे रहा है, जिनमें जानबूझकर जीवन स्थितियाँ बिगाड़ना भी शामिल है।
नवीनतम अपडेट में एमनेस्टी ने कहा कि इज़रायल अभी भी आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के प्रवेश पर गंभीर प्रतिबंध लगा रहा है। हमलों में कमी के बावजूद “गाज़ा की स्थिति में कोई सार्थक सुधार नहीं” देखा गया है और न ही ऐसा कोई संकेत कि इज़रायल का इरादा बदला है।
संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र जांच आयोग ने सितंबर 2025 में निष्कर्ष निकाला कि गाज़ा में “जनसंहार हो रहा है”—जिसे इज़रायल ने दृढ़ता से नकार दिया। आयोग ने कहा कि अक्टूबर 2023 से इज़रायली बलों ने जनसंहार कन्वेंशन में सूचीबद्ध पाँच में से चार कृत्य किए हैं।
गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद इज़रायली कार्रवाई में 69,799 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र विश्वसनीय मानता है। संघर्षविराम लागू होने के बाद भी 352 फिलिस्तीनियों की मौत इज़रायली फायरिंग से हुई है।
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