बिहार में इन दिनों अवैध कब्जों और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तेजी से जारी है। सड़कों, फुटपाथों, फ्लाईओवर के हिस्सों और बाजार क्षेत्रों को खाली कराया जा रहा है। हालिया बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी के मजबूत होकर लौटने के बाद इस अभियान की रफ्तार और बढ़ी है। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई लंबे समय से लंबित थी और अब इसे तेजी से लागू किया जा रहा है। साथ ही आश्वासन दिया गया है कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया आगे चलाई जाएगी।
वहीं, विपक्ष इस कार्रवाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तथाकथित ‘बुलडोज़र मॉडल’ का विस्तार बता रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने आरोप लगाया है कि गरीबों और मजदूर वर्ग को बिना वैकल्पिक व्यवस्था दिए हटाया जा रहा है। पार्टी ने सवाल उठाया है कि सरकार के पास पुनर्वास की ठोस योजना क्यों नहीं है।
एनडीए की सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कार्रवाई सिर्फ गरीबों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि धनी अतिक्रमणकारियों और भूमि माफिया पर भी समान कठोरता दिखानी चाहिए।
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विधानसभा सत्र के दौरान जब इस मुद्दे पर सरकार से सवाल किया गया, तो उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने जवाब दिया, “मैं सम्राट चौधरी हूं, कोई बुलडोज़र नहीं।” उन्होंने कहा कि सरकार कानून के दायरे में काम कर रही है और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई किसी राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित नहीं है।
सरकार का कहना है कि सड़कों और सार्वजनिक क्षेत्रों को मुक्त कराना, शहरी विकास और सुगम यातायात के लिए अत्यंत आवश्यक है और आगे जरूरतमंदों के लिए पुनर्वास सुनिश्चित किया जाएगा।
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