असम के ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) और 2020 के बोडो समझौते के अन्य हस्ताक्षरकर्ता 20 और 21 नवंबर को दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे। उनका उद्देश्य केंद्र सरकार से शांति समझौते की धाराओं को लागू करने और संविधान के अनुच्छेद 280 के 125वें संशोधन को तेजी से पारित कराने का दबाव बनाना है।
प्रदर्शन में असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के आदिवासी प्रतिनिधि, राजनीतिक नेता, कानूनी विद्वान, पूर्व शांति वार्ताकार और सामुदायिक समूह भाग लेंगे। ABSU ने बयान में कहा कि यह पहल आदिवासी स्वायत्तता, संघीय जिम्मेदारी और शांति समझौतों का सम्मान सुनिश्चित करने की व्यापक संवैधानिक चर्चा का हिस्सा है।
इस कार्यक्रम में चर्चा का केंद्र बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन में वादित विषयों की स्थिति, अधूरी काउंसिल संरचना, विलंबित ग्राम और नगरपालिका निकायों की स्थापना, वित्तीय सशक्तिकरण में कमी, और केंद्रीय असम के डिमा हसाओ व कारबी आंगलोंग जिलों में बोडो-कचरि लोगों को वादित अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) स्थिति होगा।
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ABSU ने विशेष रूप से यह मुद्दा उठाया कि 2019 में कैबिनेट मंजूरी मिलने के बावजूद 125वें संविधान संशोधन और छठे अनुसूची के लागू होने में देरी मुख्य चिंता का विषय है। अनुच्छेद 280 के तहत फाइनेंस कमीशन की स्थापना की जाती है, जो केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण सुझाता है और पंचायतों व स्थानीय निकायों के संसाधनों को बढ़ाता है।
प्रदर्शन में त्रिपुरा के आदिवासी कल्याण मंत्री शुक्ला चरण नोआतिया, पूर्व बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल प्रमुख प्रमोद बोरो, असम के सांसद अमरसिंह तिस्सो और जयंत बसुमतारी, तथा पूर्व नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोरोलैंड, बोडो साहित्य सभा और संबद्ध संगठनों के वरिष्ठ सदस्य शामिल होंगे।
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