दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण कार ब्लास्ट की जांच में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार, इस धमाके में शामिल डॉक्टर पिछले पांच वर्षों में कट्टरपंथ की ओर झुके और उन्हें योजनाबद्ध तरीके से ब्रेनवॉश किया गया। इस विस्फोट में 15 लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों घायल हुए थे। धमाका एक हुंडई i20 में हुआ था, जिसे उमर-उन-नबी नामक कश्मीरी डॉक्टर चला रहा था। वह फरीदाबाद स्थित अल-फला यूनिवर्सिटी से जुड़ा था।
मुख्य आरोपी डॉक्टर्स की पहचान मुजम्मिल शकील गनई, अदील अहमद रैदर, मुजफ्फर अहमद रैदर, और मुफ़्ती इरफ़ान अहमद वगाय के रूप में हुई है। ये सभी कश्मीर के निवासी हैं और अल-फला यूनिवर्सिटी में भी कार्यरत थे। इनके साथ शाहीन सईद, लखनऊ निवासी और अल-फला यूनिवर्सिटी के शिक्षक को भी गिरफ्तार किया गया है, जबकि मुजफ्फर देश से फरार बताया जा रहा है।
जांच में पता चला है कि इनका रेडिकलाइजेशन MBBS कोर्स और इंटर्नशिप के दौरान शुरू हुआ। साल 2020 से उनके हैंडलर्स ने धीरे-धीरे इन्हें प्रभावित करना शुरू किया और AI-निर्मित 'मुस्लिम नरसंहार' के वीडियो दिखाकर इनके भीतर नफरत भरने की कोशिश की। इन्हें ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉडल’ का हिस्सा बताया गया है जिसका संबंध जैश-ए-मोहम्मद और अल-कायदा से जुड़े आंसर गजवात-उल-हिंद से था।
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सूत्रों के अनुसार, मुफ़्ती इरफ़ान ने 2023 में श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मुजम्मिल शकील को कट्टरपंथ की ओर धकेला। इसके बाद मुजम्मिल ने अदील, उमर-उन-नबी और शाहीन को इस नेटवर्क में शामिल किया। जांच में खुलासा हुआ है कि ये दिल्ली सहित कई राज्यों में 32 कार बम विस्फोट की योजना बना रहे थे।
धमाके से कुछ घंटे पहले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बड़े अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय टेरर मॉडल का भंडाफोड़ कर 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किए थे, जिसमें अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल था।
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