दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (26 नवंबर 2025) को भारतीय मूल की ब्रिटिश अकादमिक निताशा कौल द्वारा दायर उस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने भारत में प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध और उनके ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड को रद्द किए जाने को चुनौती दी है।
निताशा कौल, जो यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर में इंटरनेशनल रिलेशंस की प्रोफेसर हैं, को फरवरी 2024 में भारत में प्रवेश से रोक दिया गया था और उन्हें वापस भेज दिया गया था। इसके बाद मई 2025 में केंद्र सरकार ने उनके OCI स्टेटस को “भारत-विरोधी गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप लगाते हुए रद्द कर दिया।
कौल की लेखनी अक्सर कश्मीर, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रही है। उनकी याचिका में कहा गया है कि यह कार्रवाई मनमानी है और उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा भारत से पारिवारिक संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
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उनकी याचिका में अंतरिम राहत की भी मांग की गई है ताकि वह अपनी वृद्ध और बीमार मां की देखभाल के लिए तीन सप्ताह के लिए भारत यात्रा कर सकें। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने केंद्र सरकार से इस पर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की।
याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार ने उनके खिलाफ कोई ठोस कारण या सबूत पेश नहीं किए हैं, और OCI को रद्द करना नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने केंद्र को सभी संबंधित दस्तावेज और कारण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, ताकि मामले का मेरिट के आधार पर मूल्यांकन किया जा सके।
इस मामले ने प्रवासी भारतीयों, शिक्षाविदों और मानवाधिकार समूहों के बीच भी बहस छेड़ दी है कि क्या आलोचनात्मक विचारों के कारण किसी पर प्रतिबंध लगाया जाना उचित है।
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