भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा किए गए उस आकलन पर आपत्ति जताई है, जिसमें यह माना गया है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ लंबे समय तक लागू रहेंगे। सरकार ने स्पष्ट किया कि ये शुल्क ‘अनिश्चितकाल’ तक लागू नहीं रहने वाले हैं, इसलिए IMF की यह धारणा वास्तविकता से मेल नहीं खाती।
IMF ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा था कि अमेरिका के 50% आयात शुल्क से भारत की आर्थिक वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। संस्था ने अनुमान जताया था कि इन टैरिफ़ के कारण भारत की GDP वृद्धि दर 2025-26 में 0.4% और अगले वर्ष 0.3% घट सकती है।
हालाँकि, भारत सरकार का कहना है कि IMF का यह आकलन “अत्यधिक” है और विकास दर पर संभावित प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है। सरकार के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ नीति स्थायी नहीं है और इस तरह के शुल्क आमतौर पर परिस्थितियों के अनुसार बदले जाते हैं। इसलिए, IMF की गणना उसके आधार मान (baseline assumptions) पर ही निर्भर है, जो सही स्थिति को नहीं दर्शाते।
और पढ़ें: आरबीआई की मुद्रास्फीति भविष्यवाणी में कोई पक्षपात नहीं: उप-गवर्नर पूनम गुप्ता
सरकारी अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया कि भारत विभिन्न व्यापारिक साझेदारों के साथ बातचीत कर रहा है और वैश्विक व्यापार वातावरण निरंतर बदल रहा है। ऐसे में, भविष्य का आर्थिक परिदृश्य अधिक सकारात्मक हो सकता है, जैसा कि IMF ने अनुमान लगाया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ़ का असर भारत के कुछ निर्यात क्षेत्रों पर पड़ सकता है, लेकिन भारत की विविध व्यापारिक रणनीति, मजबूत घरेलू बाजार और निरंतर सुधार इन प्रभावों को संतुलित कर सकते हैं। सरकार का रुख बताता है कि वह IMF की चिंताओं को स्वीकार करते हुए भी भारत की विकास क्षमता को लेकर आश्वस्त है।
और पढ़ें: शासन होना चाहिए सरल, पारदर्शी और सहायक: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण