पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट को भंग करने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर शनिवार (1 नवंबर 2025) को विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जोरदार हमला बोला। आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) सहित विपक्षी दलों ने कहा कि यह कदम पंजाब की स्वायत्तता, शैक्षणिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा प्रहार है।
राज्य के शिक्षा मंत्री और आप नेता हरजोत सिंह बैंस ने केंद्र के इस निर्णय की तीखी आलोचना करते हुए कहा, “यह कदम पंजाब की कठिन परिश्रम से अर्जित स्वायत्तता को रौंदता है। यह न केवल अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि पंजाब की आत्मा पर सीधा आघात है।” उन्होंने इसे “पंजाब की अस्मिता और अधिकारों पर खुला हमला” बताया।
कांग्रेस नेताओं ने भी इसे “केंद्र द्वारा विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास” बताया और कहा कि यह संघीय ढांचे की भावना के विपरीत है। उन्होंने मांग की कि केंद्र तत्काल इस निर्णय को वापस ले और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को बहाल करे।
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शिअद ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कदम पंजाब की पहचान और उसकी शैक्षणिक विरासत को कमजोर करने वाला है। पार्टी नेताओं ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर का प्रतीक है।
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