केरल सरकार के PM-SHRI (प्रधानमंत्री स्कूल स्वास्थ्य और शिक्षा पुनर्जीवन योजना) में शामिल होने के निर्णय ने राज्य की सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस योजना के तहत स्कूल शिक्षा के लिए केंद्र से भारी अनुदान प्राप्त किया जा सकता है।
हालांकि, CPI (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी), जो LDF की सहयोगी पार्टी है, ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है। CPI का कहना है कि यह निर्णय RSS के बहुसंख्यक राष्ट्रवाद-प्रेरित राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार करने जैसा है। पार्टी ने इस कदम को LDF के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया और इसे “सियासी समझौता” करार दिया।
केरल में शिक्षा और सत्ताधारी गठबंधन के भीतर यह मुद्दा राजनीति का केंद्र बन गया है। CPI का तर्क है कि केंद्र सरकार की नीति में शामिल होना, LDF की कट्टर कम्युनिस्ट और सेक्युलर छवि के साथ टकराव पैदा कर रहा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि शिक्षा नीति को अपनाने का यह तरीका छात्रों और शिक्षकों पर सीधे प्रभाव डाल सकता है और राज्य की शिक्षा प्रणाली में केंद्रीकरण को बढ़ावा देगा।
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इस बीच, केरल सरकार का कहना है कि PM-SHRI योजना में शामिल होने का उद्देश्य केवल स्कूलों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना है, जिससे स्कूलों की गुणवत्ता और छात्रों के लिए अवसरों में सुधार हो सके। राज्य सरकार ने यह भी जोर दिया कि यह कदम किसी भी राजनीतिक दल या विचारधारा के समर्थन या अस्वीकृति का संकेत नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में गठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है और आने वाले समय में इस पर और राजनीतिक चर्चा जारी रहेगी।
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