बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) में बड़ा राजनीतिक भूचाल आया है। पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा पर “परिवारवाद” और “वंशवाद” को बढ़ावा देने के आरोप लगने के बाद पार्टी के भीतर गंभीर असंतोष उभर कर सामने आया है। इसी विवाद के चलते पार्टी के सात वरिष्ठ नेताओं ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है।
यह बगावत तब सामने आई जब उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री पद के लिए चुना, जबकि वे न तो विधान परिषद के सदस्य हैं और न ही विधायक। इस फैसले से पार्टी के चार निर्वाचित विधायकों की अनदेखी हुई, जिससे भीतर ही भीतर simmer हो रहा असंतोष खुलकर सामने आ गया।
RLM के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने उन्हें “समाजवादी राजनीति का गिरा हुआ स्तंभ” करार दिया। महेंद्र कुशवाहा ने कहा, “वे नैतिक मूल्यों, सिद्धांतों और शुचिता की बात करते थे, लेकिन खुद उनका पालन नहीं किया।” उनके अनुसार यह निर्णय केवल अपने परिवार को आगे बढ़ाने की हताश कोशिश थी।
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BJP द्वारा अक्सर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर “वंशवादी राजनीति” का आरोप लगाया जाता है, लेकिन अब यही मुद्दा उसकी सहयोगी पार्टी RLM के खिलाफ खड़ा हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यह विवाद आगामी चुनावों से पहले NDA के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है, क्योंकि सहयोगी विपक्ष को हमले का मौका नहीं देना चाहते।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि क्या यह बगावत आगे और बढ़ेगी, तथा क्या RLM में और इस्तीफे देखने को मिलेंगे। पार्टी के अंदर असंतोष की यह लहर निश्चित रूप से बिहार की सियासत को प्रभावित कर सकती है।
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