राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने नागपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि चुनाव आयोग को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोट चोरी’ संबंधी प्रस्तुति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। पवार ने यह बयान उस समय दिया जब विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के भीतर इस मुद्दे पर चर्चाएं तेज हैं।
राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रस्तुति में दावा किया था कि महाराष्ट्र में हाल के विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान “वोट चोरी” हुई थी, जिससे विपक्ष को नुकसान पहुंचा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शरद पवार ने कहा, “चुनाव आयोग का यह दायित्व है कि वह इस मामले में जांच करे और यदि कोई गड़बड़ी हुई है तो कार्रवाई करे।”
पवार ने यह भी स्वीकार किया कि एमवीए को चुनाव से पहले इस मुद्दे पर अधिक सतर्क रहना चाहिए था। उन्होंने कहा, “हमारी ओर से लापरवाही हुई। अगर हमने पहले इस पर ध्यान दिया होता तो शायद हालात अलग होते।”
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इसके साथ ही, उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी कभी भी भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल नहीं होगी। “हम अपने विचारधारा और सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे,” पवार ने कहा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवार का यह बयान विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने और चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह विपक्ष की चुनावी हार से उपजा “झूठा नैरेटिव” है।
इस तरह, शरद पवार ने एक ओर विपक्ष की रणनीतिक चूक को स्वीकार किया, वहीं दूसरी ओर भाजपा के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना को पूरी तरह नकार दिया।
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