तमिलनाडु के दक्षिणी जिले तिरुनेलवेली में हाल ही में हुई हत्या ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि कैसे जातिगत घमंड युवा प्रेम को मौत के घाट उतार देता है। सी. कविन सेल्वगनेश, जो कि अनुसूचित जाति से थे, की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वह एक मध्यवर्ती जाति की लड़की से प्रेम करते थे। यह घटना न केवल व्यक्तिगत शोक की कहानी है बल्कि क्षेत्र में गहराई से जमी जातिगत सोच और वर्चस्व को भी उजागर करती है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सेल्वगनेश और लड़की लंबे समय से एक-दूसरे से प्रेम करते थे। लेकिन लड़की के परिवार ने जातिगत भेदभाव के चलते इस रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं किया। रिश्ते का विरोध इतना बढ़ गया कि अंततः सेल्वगनेश की बेरहमी से हत्या कर दी गई।
दक्षिणी तमिलनाडु में इस तरह की घटनाएं नई नहीं हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का कहना है कि यहां जातिगत वर्चस्व इतना मजबूत है कि प्रेम संबंधों को अक्सर सम्मान और प्रतिष्ठा के नाम पर हिंसक तरीके से खत्म कर दिया जाता है। यह घटना भी उसी मानसिकता का परिणाम है, जिसमें जाति को मानवीय रिश्तों से ऊपर रखा जाता है।
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राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक समाज में जातिगत श्रेष्ठता की सोच खत्म नहीं होती, तब तक ऐसी हत्याएं होती रहेंगी।
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